Eid ul Azha Ki Niyat Namaz ईद उल अज़हा की नियत और नमाज़ का तरीकाIn Hindi - Namaz Books
ईद की नमाज़ हर मोमिन बालिग मर्द पर वाजिब हैं और इसका पढ़ना वाजिब हैं और ईद उल अज़हा की नियत (Eid ul Azha Ki Niyat Namaz) सीखें सवाब का काम हैं और इसका इसका खुत्बा सुन्नत हैं
ईदउल अज़हा की नमाज़ (Eid ul Azha Ki Namaz Niyat) साल में एक बार आती हैं जिसको बकरा ईद के नाम से भी जा जाता हैं और हर मोमिन बालिग मर्द पर इसका पढ़ने का हुकुम हैं ये वाजिब ऐ नमाज़ हैं वैसे ही जैसे जुम्मे की नमाज़ फ़र्ज़ हैं
फर्क सिर्फ इतना हैं की की नमाज़ में खुत्बा फ़र्ज़ हैं और ईद उल अज़हा की नमाज़ में खुत्बा सुन्नत हैं और जान बुज कर छोड़ने वाला गुनहगार हैं
ईद उल अज़हा की नियत की बात करे तो ईद उल अज़हा की नमाज़ 2 रकत होती हैं और इसमें 6 तक्बीरे होती हैं समाज के नमाज़ के सिखलेने से पहले आइये उसकी नियत अछि अछि नियत के साथ सिख लेते हैं और इस नियत के साथ सीखे के इसे दुसरो तक पहुंचना हैं
दो रकत वाजिब ईद उल अज़हा की नियत (Eid ul Azha Ki Niyat Namaz)
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ ईदुल अज़हा की वाजिब जाइद 6 तकबीरों के वास्ते अल्लाह ताला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अक्बर।
Do Rakat Wajib (Eid ul Azha Ki Niyat Namaz)
niyat ki maine do rakat namaz eid ul azha ki wajib jaaiz 6 takbiro ke waste allah tala ke rukha mera kabaa sahrif ki taraf allah hu akbar.
(Eid ul Azha Ki Niyat) عید ال اظہا کی نیت
نیت کی مہینے دو رکعات عید ال اظہا کی واجب جائز ٦ تکبیرو کے واسطے الله تال کے رخ میرا کابا شریف کی طرف الله ہو اکبر
Eid ul Azha Ki Niyat Namaz |
Eid ul Azha Ki Namaz Niyat - ईद उल अज़हा की नमाज़ का तरीका
नियत करने के बाद अपने दोनों हाथ को कानो तक उठाए और "अल्लाहु अकबर" कहे कर दोनों हाथ बंद ले जैसे आम नमाज़ो में बांधते हैं और उसके बाद सना पढ़े फिर
इमाम के "अल्लाहु अकबर" कहते ही अपने दोनों हाथ कानो तक उठाए और हाथ निचे के तरफ छोड़ दे (हाथ छोड़ने का मतलब है हाथ लटकाले).
इमाम के "अल्लाहु अकबर" कहते ही अपने दोनों हाथ कानो तक उठाए और हाथ निचे के तरफ छोड़ दे।
इमाम के "अल्लाहु अकबर" कहते ही अपने दोनों हाथ कानो तक उठाए और हाथ निचे के तरफ छोड़ दे।
ऐसा "सना" पढ़ने के बाद तीन बार करना हैं
चौथी बार "अल्लाहु अकबर" कहते हुए दोनों हाथ कानो तक लेके जाए और हाथ बांध ले जैसे आम नमाज़ो में बांधते हैं
चौथी तकबीर के बाद इमाम किरात चालू करेंगे
“अऊजू बिल्लाहि मिनश्शैतानिर-रज़ीम" और "बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम" पढ़ कर इमाम बुलद आवाज में अल्हम्दो शरीफ पढ़ेंगे और उसके बाद कोई सूरे
पढ़ेंगे याद रहे हमें बस ख़ामोशी से सुन्ना हैं। कुछ नहीं पढ़ना हैं इस दौरान।
कोई एक सुरह पढ़ने के बाद रुक्कू और सजदा होंगे वैसे ही जैसे आम नमाजो में होता हैं
दूसरी रकत में पहले अल्हम्दो शरीफ इमाम समेत फरमाएंगे उसके बाद कोई सूरा पढ़ेंगे। पढ़ने के बाद
इमाम के "अल्लाहु अकबर" कहते ही अपने दोनों हाथ कानो तक उठाए और हाथ निचे के तरफ छोड़ दे (हाथ छोड़ने का मतलब है हाथ लटकाले).
इमाम के "अल्लाहु अकबर" कहते ही अपने दोनों हाथ कानो तक उठाए और हाथ निचे के तरफ छोड़ दे
इमाम के "अल्लाहु अकबर" कहते ही अपने दोनों हाथ कानो तक उठाए और हाथ निचे के तरफ छोड़ दे
चौती बार बिला हाथ उठाए तकबीर कहते हुवे रुकूअ में चले जाए और रुकूअ सजदा करके कायदे में बैठ कर अतियातो पढ़ कर दरूद इब्राहिम पढ़े और और इमाम के के सलाम फेरने के बाद आप भी सलाम फेर ले और नमाज़ मुकम्मल कर ले।
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