Jumme Ke Namaz Ki Niyat जुम्मे की नमाज़ का सुन्नत तरीका in hindi - Namaz Books
(Jumme Ke Namaz Ki Niyat) जुम्मे के नमाज़ की नियत पांच वक़्त के नमाज़ो के जैसी सीखना जरुरी हैं जुम्मे की नमाज़ फ़र्ज़ हैं और यहाँ 2 रकत होती है इसका बा जमात अदा करना फ़र्ज़ हैं आइये इसका नियत का सुन्नत तरीका नीच दी गई हैं
जुम्मे की नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat) हर दिन के नमाज़ के नियत के सामान ही होती है बस उसमे हर नमाज़ के नाम के बदले जुम्मा नाम आता हैं इस्लाम में हर दिन के नमाज़ के जैसे जुम्मे की भी नमाज़ फ़र्ज़ हैं और ये फ़र्ज़ मर्दो के लिए हैं, और मर्दो के लिए एक ही शर्त पर फ़र्ज़ हैं की वो इस जुम्मे की नमाज़ को बा जमात इमाम के पीछे अदा करे।
जुम्मे की नमाज़ हर हफ्ते में शुक्रवार यानि जुम्मे की दिन होती हैं और इसका टाइम जोहर के नमाज़ के टाइम में होता हैं जुम्मा मोमिन मुस्लमान के लिए ईद के जैसी होता हैं
जुम्मे की नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat) की बात करे तो इस नमाज़ में हर रकत की अपनी एक अलग नियत होती हैं इस दिन जुम्मे के टाइम की नमाज़ टोटल 14 रकत होती हैं मगर जुम्मे की नमाज़ इमाम के पीछे सिर्फ दो रकत पढ़ी जाती हैं और ये फ़र्ज़ होती हैं
जुम्मे के नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat) ऐसे करे।
- पहले की चार रकत सुन्नत जुम्मा के नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat)
नियत की मैंने चार रकात नमाज़ जुम्मे की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह ताला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अक्बर।
- दो रकत फ़र्ज़ की जुम्मा के नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat)
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ जुम्मा की फ़र्ज़ वास्ते अल्लाह ताला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अक्बर।
- चार रकत सुन्नत जुम्मा के नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat)
नियत की मैंने बाद जुम्मा चार रकात सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह ताला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अक्बर।
- दो रकत सुन्नत जुम्मा के नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat)
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह ताला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अक्बर।
- दो रकत नफिल जुम्मा के नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat)
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ जुम्मा की नफिल वास्ते अल्लाह ताला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अक्बर।
- जुम्मे का मकबूल दीं का सबूत हदीसो से
हजरत अबू हुरैरा (R.Z) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (S.A.W) जुम्मा के बारे में बताएं है की इसमें एक वक़्त ऐसा भी है की अगर कोई मुसलमान नमाज़ बराबर लगातार पढता है तो और वो इंसान नमाज़ी उस वक़्त अल्लाह तआला से जो भी मांगता है तो अल्लाह तआला उसे वो चीज अतः कर देते है (भुखारी शरीफ हदीस नंबर: 935, मुस्लिम शरीफ हदीस नंबर:852,)
हजरत अबू हुरैरा R Z से रिवायत है की रसूलअल्लाह SAW ने इरशाद फ़रमाया है की सबसे अच्छा दिन जुमे का दिन है कियों की आज के ही दिन यानि के जुमे के ही दिन हजरत आदम अलैहिसलाम AS पैदा हुए थे और आज के ही दिन यानि जुमे के दिन वो जन्नत में गए थे और जुम्मे के ही दिन उनको जन्नत से बाहर भी आये थे इसी वजह से जुमा को मुसलमानो के लिए ख़ास दिन माना गया है|
इसी तरह जुम्मे के नमाज़ की नियत (Jumme Ke Namaz Ki Niyat) है आप ने पढ़ कर सिखलिया जान लिया अब आप इसले सवाब के नियत से इसे शेयर करे और अपना इल्म कमेंट बॉक्स में शेयर करे - Namaz Books
जुम्मे का दिन एक अज़ीम दिन है, अल्लाह तआला ने इस के साथ इस्लाम को अज़मत दी और येह दिन मुसलमानों के लिये ख़ास कर दिया, फ़रमाने इलाही है : जब जुम्मे के दिन नमाज के लिये पुकारा जाए पस जल्दी करो अल्लाह के ज़िक्र की तरफ़ और खरीदो फरोख्त छोड़ दो। इस आयत से मालूम हुवा कि अल्लाह तआला ने जुम्मे के वक्त दुन्यावी शगल हराम करार दिये हैं और हर वो चीज़ जो जुमा के लिये रुकावट बने ममनूअ करार दे दी गई है। हुजूर सल्लल्लाहो अलैह व सल्लम का फरमान है कि तहक़ीक़ अल्लाह तआला ने तुम पर मेरे इस दिन और इस मकाम में जुमा को फ़र्ज़ करार दे दिया है। एक और इरशाद है कि जो शख्स बिगैर किसी उज्र के तीन जुम्मे की नमाजें छोड़ देता है अल्लाह तआला उस के दिल पर मोहर लगा देता है। इस पेज से हजारों खुबसूरत जुम्मा मुबारक इमेजेज डाउनलोड कर सकते हैं
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