नमाज़ के वाजिब Namaz Ke Wajib Wajibat हिंदी में - Namaz Books
नमाज़ में फ़र्ज़ के बाद सबसे जरुरी मसला नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajib Wajibat) हैं और इसको सीखना और सीखकर याद रखें और दुसरो को बताना यक़ीनन बहुत सवाब का काम हैं
नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajib Wajibat) की बात करे तो नमाज़ इस्लाम में हर मोमिन मर्द औरत पर हर दिन पांच वक़्त की नमाज़ फ़र्ज़ हैं और उसे हर हाल में पढ़ना फ़र्ज़ हैं जरुरी हैं।नमाज़ के भी अपने कायदे कानून हैं जैसे की हर नमाज़ में फ़र्ज़, वाजिब और सुन्नत हैं आज हम नमाज़ के वाजिब (Namaz Ke Wajib Wajibat) की बात करेंगे।
नमाज़ में एक भी वाजिब को भूलकर या जान बूझकर छोड़ना गुन्हा हैं और एक भी वाजिब को छोड़ने से नमाज़ फिर से पढिनि पड़ेंगी या नमाज़ में सजदा सवह करने से नमाज़ हो जाएंगी। सजदा सवाह के बारे मे जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।
नमाज़ के जरुरी वाजिबात (Namaz Ke Wajib Wajibat) सुन्नत तरीके से
जैल की चीजे नमाज़ में वाजिब (Namaz Ke Wajib Wajibat) हैं :
तहरीमा में लफ्ज़े अकबर कहना
अल्हम्दो शरीफ मुकम्मल पढ़ना और इसमें एक भी लफ्ज़ को जान भुजकर छोड़ना गुन्हा हैं यानि वाजिब का तर्क करना हैं।
अलहम्द पढ़ना और इसके साथ कोई सूरत मिलाना
फर्ज़ की पहली दो रकअतों में किरअत करना
म्दु को सूरत से पहले पढ़ना। एक छोड़ी या आप को जो सूरा आता हैं उसे सही तरीके से पढ़ना मतलब लफ्ज़ो का ऐर फेर ना करना
रुकूम करके सीधा खड़ा होना
दोनों सिज्दों के दरमियान् बैठनाये भी एक नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajib Wajibat) हैं
पहला काअंदह करना
पहले काअंदह में अत्तहियात के बाद कुछ न पढ़ना
हर काअंदह में अत्तहियात का पढ़ना
लफ्ज़े अस्सलाम आखिर में २ बार कहना
जुहर व अस मैं किरअत आहिस्ता आहिस्ता पढ़ना
इमाम के लिये मगरिब व इशा की पहली दो रकअतों और फन व जुम्आ व इदैन और तरावीह की सब रकअतों में बुलन्द आवाज़ से किरअत करना
वित्र में दुआए कुनूत का पढ़ना
इदैन में ६ तक्बीरे ज़्यादा कहना
Namaz Ke Wajib Wajibat |
नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajib Wajibat) में से अगर कोई वाजिब भूल कर छूट जाए तो सिज्दए सह्व से नमाज़ हो जायेगी अगर कसदन किसी वाजिब को छोड़ दिया तो दुवारा नमाज़ पढ़ना वाजिब है सिज्दए सह्व से भी काम न चलेगा । - Namaz Books
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