तरावीह की नमाज़ की दो रकत सुन्नत की नियत Taraweeh Namaz Ki Niyat - Namaz Books
बात तरावीह की नमाज़ की नियत (Taraweeh Namaz Ki Niyat) की हो या कोई भी काम की नियत दिल के इरादे को कहते हैं एक इस्लामी अच्छा काम जिसमे अल्लाह को अपने दिल में रख कर या महसूस कर के कोई भी काम की अच्छा इरादा कर लेना इसे ही नियत कहते हैं
तरावीह की नमाज़ 20 रकत होती हैं और इसे 2 - 2 रकत करके पढ़ा जाता हैं हर 2 रकत की नियत बाँधी जाती हैं। और 2 - 2 रकत के शकल में 20 रकत सुन्नत तरावीह अदा की जाती हैं
तरावीह की नमाज़ की नियत (Taraweeh Namaz Ki Niyat) सुन्नति तरीके से
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ तरावीह की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह ताला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाह हु अक्बर।
एक मोमिन मुस्लमान अगर कोई इस्लामी या कोई भी दुनिया वी काम करता हैं जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ अच्छा हो और उस काम को करने के पहले अगर दिल में नियत कर लेता हैं उस अचे काम का तो उसे उस नियत का भी सवाब अलग से मिलता हैं Taraweeh Namaz Ki Niyat
तरावीह की नमाज़ की दुआ (Taraweeh Namaz Ki Niyat)
- सुब्हानल मालिकिल क़ुद्दूस
- सुबहाना दील मुल्की वाल मलकूती
- सुबहाना दील इज़्ज़ती वाल अदमति वाल हय्बति वाल कुदरती
- वल किबरियाई वाल जबरूत
- सुब्हानल मालिकिल हय्यिल लदी, ला यूनामु व लायमूतू
- सुबबहूँ,कुद्दुसून रब्बुना रब्बुल मलाइकती वॉर रूह
- अल्लाहुम्मा अजीरनी मीनन नार
- या मुजीरो, या मुजीरो, या मुजीरो,
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