Namaz KI Ahmiyat Or Fhazilat नमाज़ की अहमियत और फज़ीलत - Namaz Books
(Namaz KI Ahmiyat Or Fhazilat) - इस्लाम में पांच फ़र्ज़ में से एक फ़र्ज़ नमाज़ हैं और नमाज़ हर मोमिन बालिग मुस्लमान पर फ़र्ज़ हैं और इसका ज़िकर क़ुरान और हदीस में हैं आइये इसकी अहमियत जाते है जो आप भी शायद नहीं जानते
नमाज़ मोमिन पर फ़र्ज़ हैं और इस फ़र्ज़ को अदा करना सवाब का काम हैं और जान बुज कर छोड़ना बहुत बड़ा गुन्हा हैं अल्लाह के जानिब से हर रसूल के उम्मत के लिए एक तोहफा है और ये तोहफा अल्लाह ने अपने हबीब को शबे मेराज के दिन अता किया था।
नमाज़ के अहमियत (Namaz KI Ahmiyat Or Fhazilat) की बात करे तो हर मोमिन मुस्लमान के लिए नमाज़ एक मेराज के सामान है जो उसे जन्नत में लेके जाएंगी। नमाज़ इंसान के लिए एक नूर के सामान हैं जो अल्लाह के नूर के जरिये हमें अता किया गया हैं इस नमाज़ के नूर से हर मोमिन मुस्लमान का दिल पुर नूर हो जाता हैं
नमाज़ के अहमियत (Namaz KI Ahmiyat Or Fhazilat) का क्या कहना। इस मुस्लमान के दुश्मन के इस ज़माने में हर मोमिन मुस्लमान का हतियार हैं जिससे वो अपनी मदद के लिए नमाज़ को हतियार बना सकता हैं अल्लाह के बारगाह में अपनी फरियाद को पूरा करने के लिए वो नमाज़ का सहारा ले सकता हैं
ईमान व अक़ीदा सही कर लेने के बाद मुसलमानों पर सब फर्ज़ो से अहम फर्ज़ और तमाम इबादतों में बड़ी इबादत नमाज़ है (Namaz KI Ahmiyat Or Fhazilat)
कुरआने पाक और अहादीसे तय्यिबा में सबसे ज्यादा इसी की ताकीद आयी है और इसके छोड़ने पर सख अज़ाब और शदीद वईदें वारिद हुयी हैं । जैल में इस सिलसिले की चन्द हदीसें ज़िक्र की जाती हैं कि मुसलमान अपने आका प्यारे मुस्तफा रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के इर्शादात सुनें , अमल करें और दूसरों को अमल की तरगीव दें
अल्लाह तआला अमल की तौफीके रफीक अता फरमाए । आमीन ।
|
नमाज़ पर बहुत हदीस आप को मिलजाएंगी आप इस पोस्ट में कुछ हदीस आप के खिदमत में आप के रूबरू की कई है इसे पड़े और पढ़ कर याद रखे और अपने सभी अज़ीज़ो मोनीन मुस्लमान के साथ शेयर करे और खूब खूब सारि नेकिया कमाए। (Namaz KI Ahmiyat Or Fhazilat)
( १ ) रसूलुल्लाह सल्लल्लाहुवाला अलैहिवसल्लम् इरशाद फरमाते हैं कि इस्लामकी बुनियाद पाँच चीजों पर है ।
१ . इस अम्र की शहादत देना कि अल्लाह के सिवा कोयी सच्चा माआबुद नहीं और मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु वाला अलौहि वसल्लम उसके रसूल हैं ।
२. नमाज़ काएम रखना ।
३. जकात देना ।
४. हज करना ।
५ . औरमाहे रमजाब के रोजे रखना ।
( बुखारीशरीफ )
( २ ) हज़रते अबदुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्ह कहते हैं कि मैंने हुँजूरे आअला सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा कि आमाल में अल्लाह तआला के नज़दीक सब से ज्यादा महबूब किया है ?
फरमाया ! नमाज़ वक्त के अन्दर ,
मैंने अर्ज़ किया फिर किया ? फरमाया वाल्दैन के साथ नेक सुलूक-
अर्ज़ किया ! फिर क्या ? फरमाया ! राहेखुदामें जिहाद
( बुखारीशरीफ )
( ३ ) रहमतुल्लिल आलमीन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम् ने इर्शाद फरमाया !
बताओ तो किसी दरवाजे पर नहर हो और वह उसमें हर रोज पाँच बार गुस्ल करे - क्या उसके बदन पर मैल रह जायेगा !
सहाबा ने अर्ज़ किया ! उसके बदन पर कुछ बाकी न रहेगा ,
फरमाया ! यही मिसाल पाँचों नमाज़ों की है कि अल्लाह तआला उन की सब ख़ताओ को मिटा देता है ।
( बुखारीशरीफ )
( ४ )नबीए अकदस मल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जाड़े में बाहर तशरीफ ले गये पतझड़ का ज़माना था दो टहनियाँ पकड़ ली पत्ते गिरने लगे फरमाया !
ऐ अबुज़र ? अर्ज किया लब्बैक या रसुलल्लाह !
फ़रमाया मुसल्मान बन्दा अल्लाह तआला के लिये नमाज पढ़ता है तो उसके गुनाह ऐसे ही गिरते है जैसे इस दरख्त से पत्ते ।
( अबूदाऊद वहवाला मिश्कात सपहा ५८ )
नमाज़ ये कोई छोटी मोती चीज नहीं ये अल्लाह से मुलाकात का जरिया हैं नमाज़ पढ़ते वक़्त बाँदा अपने रब के रहमो करम में अल्लाह के साए में रहता हैं ये नमाज़ की फज़ीलत में से एक फ़ज़ीलत (Namaz KI Ahmiyat Or Fhazilat) हैं इस को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे - Namaz Books
No comments: