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(Namaz Ke Wajibat) नमाज़ के वाजिबात हज़रात मोहम्मद के बताए नमाज़ के पुरे जानिए

(Namaz Ke Wajibat) नमाज़ के वाजिबात हज़रात मोहम्मद के बताए नमाज़ के पुरे जानिए - Namaz Books

(Namaz Ke Wajibat) नमाज़ के वाजिबात हज़रात मोहम्मद के बताए नमाज़ के पुरे जानिए
Namaz Ke Wajibat

(Namaz Ke Wajibat) - इस्लाम में नमाज़ फ़र्ज़ हैं और इसका अदा करना जरुरी हैं नमाज़ के अपने कुछ नियम होते हैं जिससे फ़र्ज़, वाजिबात और सुन्नत हैं जिनका नमाज़ में मुकमल उपयोग कारन पत्थर के लकीर से भी अफजल हैं

नमाज़ में फ़र्ज़ के बाद नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajibat) को हमीयत हैं। और उसके बाद सुन्नत को। इस पोस्ट में हम आप को नमाज़ के वाजिबात के बारे में बतलाएंगे।


नमाज़ में वाजिबात (Namaz Ke Wajibat) का अदा होना बहुत जरुरी हैं और इसमें से एक भी वाजिबात का मुकम्मल तरीके से आधा नहीं होने से आप की नमाज़ अल्लाह के बारगाह में क़ुबूल नहीं होंगी।

 कियामत में सब से पहले नमाज़ का सुवाल होगा " के तीस हुरूफ की निस्बत से तकरीबन 30 नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajibat). 

१) तक्बीरे तहरीमा में लफ़्ज़ " अल्लाहु अक्बर " कहना 

२) फर्ज़ो की तीसरी और चौथी रक्त के इलावा बाकी तमाम नमाजों की हर रक्अत में अल हम्द शरीफ़ पढ़ना , सूरत मिलाना या कुरआने पाक की एक बड़ी आयत जो छोटी तीन आयतों के बराबर हो या तीन छोटी आयतें पढ़ना।

३) अल हम्द शरीफ़ का सूरत से पहले पढ़ना।

४) अल हम्द शरीफ़और सूरत केदरमियान " आमीन " और " बिस्मिल्ला इर्रहमान निर्रहीम " के इलावा कुछ और न पढ़ना।  

५) किराअत के फ़ौरन बा'द रुकूअ करना।  

६) एक सज्दे के बाद बित्तरतीब दूसरा सज्दा करना। 

७) ता'दीले अरकान या'नी रुकूअ , सुजूद , कौमा और जल्सा में कम अज़ कम एक बार " सुब्हान अल्लाह " कहने की मिक्दार ठहरना।  

८) कौमा या'नी रुकूअ से सीधा खड़ा होना ( बा'ज़ लोग कमर सीधी नहीं करते इस तरह उन का वाजिब छूट जाता है ) . 

९) जल्सा या'नी दो सज्दों के दरमियान सीधा बैठना ( बा'ज लोग जल्द बाज़ी की वजह से बराबर सीधे बैठने से पहले ही दूसरे | सज्दे में चले जाते हैं इस तरह उन का वाजिब तर्क हो जाता है चाहे कितनी ही जल्दी हो सीधा बैठना लाज़िमी है वरना नमाज़ मक्रूहे तहरीमी वाजिबुल इआदा होगी ) 

१०) का'दए ऊला वाजिब है । अगर्चे नमाजे नफ़्ल हो .... ( दर अस्ल नफ़्ल का हर का'दह , " का'दए अख़ीरा " है और फ़र्ज़ है अगर का'दह न किया और भूल कर खड़ा हो गया तो जब तक इस रक्अत का सज्दा न कर ले लौट आए और सज्दए सह्व करे । ) यह दसवा नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajibat) हैं 

अगर नफ़्ल की तीसरी रक्अत का सज्दा कर लिया तो चार पूरी कर के सज्दए सब करे , सज्दए सब इस लिये वाजिब हुवा कि अगर्चे नफ़्ल में हर दो रक्अत के बा'द का'दह फ़र्ज़ है मगर तीसरी या पांचवीं रक्अत का सज्दा करने के बाद का'दए ऊला फ़र्ज़ के बजाए वाजिब हो गया।   

११) फ़र्ज़ , वित्र और सुन्नते मुअक्कदा में तशहुद ( या'नी अत्तहिय्यात ) के बाद कुछ न बढ़ाना।  

१२) दोनों का'दों में " तशहुद " मुकम्मल पढ़ना । अगर एक लफ़्ज़ भी छूटा तो वाजिब तर्क हो जाएगा और सज्दए सब वाजिब होगा।  

१३) फ़र्ज़ , वित्र और सुन्नते मुअक्कदा के का'दए ऊला में तशहुद के बाद अगर बे ख़याली में 

" अल्लाह हुम्मा सल्ले-अला मोहम्मदिन " 

या 

" अल्लाह हुम्मा सल्ले अला सय्यदना " 

कह लिया तो सज्दए सह्व वाजिब हो गया और अगर जान बूझ कर कहा तो नमाज़ लौटाना वाजिब है । 

१४) दोनों तरफ़ सलाम फैरते वक़्त लफ़्ज़ " अस्सलाम " दोनों बार वाजिब है । लफ्ज़ '. " अलैकुम " वाजिब नहीं बल्कि सुन्नत है। 

१५) वित्र में तक्बीरे कुनूत कहना। 

१६) वित्र में दुआए कुनूत पढ़ना। 

१७) ईदैन की छ तक्बीरें। 

१८) ईदैन में दूसरी रक्अत की तक्बीरे रुकूअ और इस तक्बीर के लिये लफ़्जे " अल्लाहु अक्बर " होना 

१९) जही नमाज़ म - सलन मगरिब व इशा की पहली और दूसरी रक्अत और फ़ज्र , जुमुआ , ईदैन , तरावीह और र - मज़ान शरीफ़ के वित्र की हर रक्त में जहर ( या'नी इतनी बुलन्द आवाज़ कि कम अज़ कम तीन आदमी सुन सके ) से किराअत करना। 

२०) गैरे जहरी नमाज़ ( म - सलन जोहर व असर ) में आहिस्ता इमाम को  किराअत करना यह बिस्वा नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajibat) हैं 

२१) हर फ़र्ज़ व वाजिब का उस की जगह होना। 

२२)रुकूअ हर रक्अत में एक ही बार करना। 

२३) सज्दा हर रक्अत में दो ही बार करना। 

२४) दूसरी | रक्अत से पहले का'दह न करना। 

२५) चार रक्अत वाली नमाज़ में तीसरी रक्अत पर का'दह न करना। 

२६) आयते | सज्दा पढ़ी हो तो सज्दए तिलावत करना। 

२7) सज्दए सह्व वाजिब हुवा हो तो सज्दए सह्व करना। 

२8) दो फ़र्ज या दो वाजिब या फ़र्ज व वाजिब के दरमियान तीन | तस्बीह की क़दर ( या'नी तीन बार " सुब्हान अल्लाह " कहने की | मिक्दार ) वक्फ़ा न होना

२९) इमाम जब किराअत करे | ख्वाह बुलन्द आवाज़ से हो या आहिस्ता आवाज़ से मुक्तदी का चुप रहना। 

३०) किराअत के सिवा तमाम वाजिबात में इमाम की पैरवी करना । यह तिस्वा नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajibat) हैं 

इस तरह नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajibat) ३० हैं जो इस्लाम में नमाज़ के रूल्स हैं इसको पढ़ना याद करना और याद करके अमल में लाना सवाब हैं और वाजिब हैं इसे याद करे और शेयर करे सवाब की नियत से नमाज़ के वाजिबात (Namaz Ke Wajibat). - Namaz Ka Tarika

(Namaz Ke Wajibat) नमाज़ के वाजिबात हज़रात मोहम्मद के बताए नमाज़ के पुरे जानिए (Namaz Ke Wajibat) नमाज़ के वाजिबात हज़रात मोहम्मद के बताए नमाज़ के पुरे जानिए Reviewed by IRFAN SHEIKH on December 30, 2020 Rating: 5

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