Namaz Ke Faraiz नमाज़ के फ़राइज़ बिस्मिल्ला के 7 हुरूफ़ की निस्बत से - Namaz Books
Namaz Ke Faraiz |
इस्लाम में नमाज़ पांच फर्ज़ो में से एक फ़र्ज़ हैं और इस फ़र्ज़ को अदा करने के लिए भी इसके अपने कोई फ़र्ज़ हैं याद रहे नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Faraiz) में से एक फ़र्ज़ का भी कज़ा होना भूल जाना या अनजाने में तो आप के नमाज़ नहीं होंगी और आप को इसको दोबारा दाहरणा होगा
नमाज़ हर मोमिन मुस्लमान पर फ़र्ज़ हैं पढ़ना लाजमी हैं किसी भी हालत में, परन्तु नमाज़ के भी कुछ कायदे कानून हैं उसके भी अदा करने के अपना तरीका हैं
नमाज़ सही और हज़रात मोहम्मद ने जैसा सहाबा को बतलाया सिखलाया और पढ़ाया था, उस तरीके से पढ़ना फ़र्ज़ हैं और इसी तरह नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) कुछ हैं
नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) टोटल 12 हैं जिसमे से पांच नमाज़ के अदा करने से पहले के हैं और 7 नमाज़ अदा करते वक़्त के हैं और एक भी फ़र्ज़ छूटने पर आप की नमाज़ क़ुबूल अल्लाह के बारगाह में नहीं होंगी
इसलिए नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) जानना बहुत जरुरी हैं इस पोस्ट में आज हम आप को नमाज़ के फर्ज़ो (Namaz Ke Farz) में से नमाज़ में होने वाले 7 अदा फ़र्ज़ के बारे में बताएंगे
नमाज़ में फर्ज़ो में से नमाज़ में पढ़ते वक़्त होने वाले 7 नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) .
- तक्बीरे तहरीमा
- कियाम
- किराअत
- रुकूअ
- सुजूद
- का'दए अख़ीरा
- खुरूजे बिसुन्इही ।
- तक्बीरे तहरीमा
नमाज़ में शुरू करते वक़्त पहले तक्बीरे तहरीमा कहना यानि आऊज़ुबिल्लहि मिनस शैतान निर्रज़ीम बिस्मिल्ला ईर रहमान निर्रहीम कहना।
- कियाम
क़ियाम का मतलब होता हैं नमाज़ शुरी करने के लिए खड़े होना यह नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) में से नमाज़ का दूसरा फ़र्ज़ हैं
- रुकूअ
नमाज़ में रुकूअ का मतलब होता हैं की नमाज़ में अपने आप को कमर के बल छुक जाना। और काम से काम तीन बार सुब्हान रबिल अज़ीम कहना ये नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) में से तीसरा फ़र्ज़ हैं
- सुजूद
नमाज़ में सुजूद का मतलब होता हैं जमीन पर घुटनो के बल बैठ कर अपना माथा नाक जमीन पर रख कर सुब्हान रब्बिल आला काम से काम तीन बार कहना इसको सजदा कहते हैं ये नमाज़ के सात फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) में से चौथा फ़र्ज़ हैं
- का'दए अख़ीरा
का'दए अख़ीरा का मतलब होता हैं नमाज़ में बैठना यह नमाज़ के फ़र्ज़ में से पांचवा फ़र्ज़ हैं
- खुरूजे बिसुन्इही
नमाज़ के आखिर फ़र्ज़ खुरूजे बिसुन्इही यानि अपने इरादे से नमाज़ खत्म करना ये सात नमाज़ के फ़र्ज़ में से आखिर फ़र्ज़ हैं
अगर इन फर्ज़ो में से कोई एक फ़र्ज़ भी जानकर या भूल जाए तो नमाज़ नहीं होंगी सिज्दए सवह करने पर भी नमाज़ नहीं होंगी क्यू की नमाज़ के फ़र्ज़ (Namaz Ke Farz) में से एक फ़र्ज़ भी ना होने पर आप के पूरी नमाज़ को दोबारा पढ़ना होगा - Namaz Ka Tarika
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