Namaz E Janaza नमाज़ ए जनाज़ा का सुन्नत और पूरा तरीका - Namaz Books
हर मोमिन मुस्लमान के लिए नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) फ़र्ज़ किफ़ाया हैं और इसका पढ़ना बहुत जरुरी है इसका तर्क करने वाला गुनहगार हैं और इसका बहुत सवाब है और इसका सीखकर पढ़ना लाज़िमी हैं आइये इसे सीखते हैं और अपने ज़िन्दगी में इल्म की रोशनी भरते हैं
नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) की बात करे तो एक मोमिन मुस्लमान जब दुनिया में आता हैं तो उसके लिए अज़ान उसके कानो में दिया जाता हैं और उसका इस्तकबाल किया जाता हैं
और जब वही मोमिन इस दुनिया से रुक्सत होके जब अल्लाह के जानिब लौट जाता हैं तो इसके लिए जनाज़े के नमाज़ पढ़ी जाती हैं और जनाज़े की नमाज़ फर्ज़े किफ़ाया हैं इसका मतलब जिस भी मोमिन को पता हैं की जनाज़े के नमाज़ पड़े जारी हैं तो उसको पढ़ना जरुरी हैं
नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) की जरुरी मालूमात
- नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) में 2 रुक्कू, 4 तकबीरऔर क़ियाम हैं
3 सुन्नतें मुअक्कदा हैं
सना पढ़ना, दरूद पाक पढ़ना और मय्यत के लिए दुआ करना
- नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) में कितने सफें होना चाहिए
बहेतर ये हैं की 3 सेफ होना चाइये इसका जवाला हदीसो से हैं की जिसके जनाज़े में 3 सफें हो तो उसके लिए जन्नत वाजिब हैं
(Tirmizi Shareef, Kitabuljanayez, Vol. 2, Page 317, Hadith 1030)
- नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) में लोग काम हो तो कैसे तीन सफें बनाए
मानलो की 7 लोग हैं तो उसमे से एक इमाम, पहली साफ में 3 लोग, दूसरी सफें में 2 लोग और 3 सफें में 1 मर्द खड़ा हो जाए
- नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) को कन्धा देने में कितना और क्या सवाब।
नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) में मय्यत को कन्धा देने में हदीसो में आया हैं की जिसने मय्यत को 40 कदम के कर चले तो उसके 40 गुन्हा मिटा दिए जाएंगे।
Moajmul Awsat, Volume 4, Page 259, Hadees Num. 5920.
Bahare Shariyat, Vol. 1, Part 1/817 to 847.
Namaz E Janaza |
नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) पढ़ने का सुन्नत तरीका
- मुक्तदी इस तरह निय्यत करे " मैं निय्यत करता हूं इस जनाजे की नमाज़ की , वासिते अल्लाह के , दुआ इस मय्यित के लिये , पीछे इस इमाम के । "
- अब इमाम व मुक्तदी पहले कानों तक हाथ उठाएं और " अल्लाहु अक्बर " कहते हुए फ़ौरन हस्बे मा'मूल नाफ़ के नीचे बांध लें और सना पढ़ें ।
- इस में | " वताला जद्दूका " के बा'द " वजलला सनाऊका वला-इलाहा गैरूका " पढ़ें , |
- फिर बिगैर हाथ उठाए " अल्लाहु अक्बर " कहें , फिर दुरूदे इब्राहीम पढ़ें , फिर बिगैर हाथ उठाए " अल्लाहु अक्बर " कहें और दुआ पढ़ें
( इमाम तक्बीरें बुलन्द आवाज़ से कहे और मुक्तदी आहिस्ता । बाकी तमाम अज़्कार | इमाम व मुक्तदी सब आहिस्ता पढ़ें ) दुआ के बाद फिर ' अल्लाहु अक्बर " कहें और हाथ लटका दें फिर |
- दोनों तरफ़ सलाम फैर दें ।
इस तरह नमाज़ ऐ जनाज़ा (Namaz E Janaza) का सही और सुन्नत तरीका जो रसूल अकरम सल्लल्लाहो अलैवसल्लम से मरवी हैं आप इसे शेयर करे और सवाबे दारेन हासिल करे।
दुनिया में मोमिन मुस्लमान बन कर आए हैं तो है चाहिए की इस नमाज़ को सिख कर अल्लाह के रसूल के रस्ते पर चले और अपने रिश्तेदार आस पड़ोस वालो के मय्यत में शरीक होके उसके बक्शीश का जरिये बने और अपने लिए भी नेक काम करे.
अक्सर लोग नमाज़ ऐ जनाज़ा Namaz E Janaza पढ़ने तो आजाते हैं पर उसको सही ढंग से नमाज़ पढ़ना नहीं आता है। और वो नमाज़ ऐ जनाज़ा Namaz E Janaza पढ़ते वक़्त अपने अगल बगल में झाकते हैं इससे उसके काम इल्मी का पता चलता हैं
दुनिया में हम इन मोनीन मुस्लमान है और हमें कई लोगो के साथ रह रहे है तो हमारे सामने कई आएँगे और कई जाएंगे इस्लियते हमें हर वक़्त तैयार रहना हैं इसका मतलब नमाज़ ऐ जनाज़ा Namaz E Janaza सीखना है और सीखना है इंशाअल्लाह - Namaz Books
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